होली से 1 दिन पहले सांझ में होलिका दहन किया जाता है इस प्रथा के पीछे कहानी है जो सच में दर्शाती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत होती ही है और वह कहानी कुछ इस प्रकार है-
होली का त्योहार रंगों का त्योहार कहलाया जाता है यह त्योहार भारत में कई सालों से मनाया जाता है।
यदि आप इतिहास से देखते हैं, तो यह त्योहार इंदू प्रणाली के अनुसार वैदिक काल से मनाया जाता है, यह कहा जाता है कि आज, सभी बुरी चीजों को सभी नकारात्मक चीजें कहे जाने चाहिए और हमें आगे बढ़ना चाहिए और यही कारण है कि यह कहा जाता है यह कहा जाता है। हिंदू महीने के अनुसार, अपराध का दिन जीतना, नया साल आज शुरू होता है और रंगोसव को इस खुशी को वितरित करने और इस खुशी को प्रस्तुत करने के लिए मनाया जाता है। इसके पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है।
एक राजा था जिसका नाम हिरण्यकाश्याप था, उनके बेटे का नाम प्रह्लाद था।
हिरण्यकाशप ने खुद को ईश्वर मान्ने लग गया था और वह विष्णु से नफरत करता था।
हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में सभी विष्णु की मूर्तियों को नष्ट कर दिया था और अपने लोगों को इसे स्वीकार करने के लिए मजबूर किया था कि वही उनका देवता है परंतु उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु का अनन्य भक्त था हिरण्यकश्यप को प्रहलाद की यह बात कदाचित पसंद नहीं थी।
उसने हर संभव प्रयास किया की प्रहलाद विष्णु की भक्ति से दूर रहे परंतु प्रहलाद हर समय विष्णु भक्ति में मग्न रहता था हिरण्यकाशाप ने शुरू में प्रहलाद को प्यार के साथ मनाने की कोशिश की, कि वह विष्णु की भक्ति को छोड़ दे, और उन्होंने कई प्रयास भी किए, जिससे प्रहलाद विष्णु भक्ति से दूर हो जाए परंतु प्रहलाद की श्री विष्णु में इतनी आस्था थी कि वह उनसे दूर ना हो सका तत्पश्चात एक दिवस हिरण्यकश्यप को एक उपाय सूझा कि प्रहलाद को मार दिया जाए इसके लिए उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया।
होलिका को महादेव से यह वरदान था कि वह आग से जलेगी नहीं और उन्हें उनसे एक दुपट्टा प्रदान हुआ था इस वजह से वह इसे पहनने के बाद आग से जलाने में सक्षम नहीं होगा, और इसीलिए वह अपनी जगह से उड़ गई और गोदी में प्रहलाद के साथ आग पर बैठ गई, फिर उसने भगवान का दिया दुपट्टा एक चमत्कार के साथ उसके लपट गया और होलिका का दहन हो गया और इसी के कारण होलिका दहन होली से 1 दिन पहले शुभ संध्या को किया जाता है।
ऐसे माना जाता है कि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी जैसे होलिका एक बुरी आत्मा थी और प्रहलाद वही एक अच्छा तो होलिका जलकर राख हो गई और पहलाद बच गया वैसे ही हमारे जितने भी दुख दर्द और नकारात्मक विचार है वह सब उस दिन चले जाते हैं और हमें सकारात्मक विचारों को अपनाना चाहिए।
जिस प्रकार प्रह्लाद ने अपनी अच्छाई से प्रभु का चमत्कार जीता वैसे ही हम भी हमारे जीवन में अच्छाइयों को अपना कर आगे बढ़ सकते हैं और प्रभु का चमत्कार जीत सकते हैं तो आज से ही अच्छे काम कीजिए और जीवन में सकारात्मकता बनाए रखिए।
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