जी हाँ आपने बिलकुल सही पढ़ा है की समुद्र के पानी से बैटरी बनाना शुरू करेगा और ये मौक़ा इतना बड़ा है की हम भर्तियों की खपत होने के साथ साथ पूरी दुनिया को बैटरी इक्स्पॉर्ट कर पाएँगे। सिर्फ़ इतना ही नहीं ये इतनी बड़ी और आधुनिक टेक्नॉलजी है की पूरी दुनिया इसके ऊपर रीसर्च में जुटी हुई है। यहाँ तक कि टेस्ला भी अब लेथिम आइआन बैटरी से हट कर इस समुद्री पानी से बनी सोडीयम आइआन बैटरी को बनाने के ऊपर बहुत ज़्यादा फ़ोकस और रीसर्च कर रही है।
वही भारत इस बड़े मौक़े को कैसे खो सकता है क्यूँकि हमारे पास समुद्री पानी बहुत ज़्यादा मात्रा में है। इसी मौक़े को ध्यान में रखते हुए भारत की सबसे बड़ी ओर दिग्गज कम्पनी रिलायंस इंडुस्ट्रीज़ ने एक सोडीयम आइआन बैटरी बनाने वाली यू॰के॰ इस्थित एक कम्पनी जिसका नाम Faradion है उसको 135,00,00,000 रूपेय में ख़रीद लिया है। ये कम्पनी ना सिर्फ़ सोडीयम आइआन बैटरी बनती है उसके साथ साथ ये कम्पनी बहुत सारे रेनूअबल एनर्जी सॉर्सेज़ पर भी काम कर रही है। अब ये कम्पनी रिलायंस इंडुस्ट्रीज़ के अंदर अपने प्रडक्शन को भारत में शुरू कर चुकी है।
सोडीयम आइआन बैटरी कितनी किफ़ायती ?
सोडीयम आइआन बैटरी को -30 डिग्री से 60 डिग्री सेल्सीयस तक उपियोग में लिया जा सकता है। 150 से 160 वाट आवर की बैटरी बनाने के लिए 1 किलोग्राम सोडीयम आइआन की ज़रूरत पड़ती है और ये सोडीयम समुद्री पानी से निकाला जा सकता है। लेकिन सिर्फ़ सोडीयम से ही ये बैटरी नही बनेगी इसमें ओर भी केमिकल्ज़ का यूज़ होगा। इसमें मेन केमिकल सोडीयम आइआन ही होगा। यह बैटरी लिथीयम आइआन बैटरी के व्यापार को काफ़ी बड़ा नुक़सान दे सकती है क्यूँकि यह बैटरी लिथीयम आइआन बैटरी के मुक़ाबले 50% कम दाम पर बनाई जाएगी।इसकी लाइफ़ भी लिथीयम आइआन बैटरी के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा होगी। इसका मतलब है की यह बैटरी लिथीयम आइआन बैटरी के मुक़ाबले में काफ़ी आधुनिक एवं सस्ती होगी ।
भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे और मज़बूत कर सकती है?
सोडीयम आइआन बैटरी के उपयोग से भारत के साथ साथ दुनिया में इलेक्ट्रिक गाड़ीयो की क़ीमत भी काफ़ी कम हो जाएगी। जिससे इनको बहुत सारे नए ग्राहक भी ख़रीद पाएँगे। भारत की जी॰डी॰पी॰ में देखा जाए तो ऑटमबील सेक्टर का 7. 1% हिस्सा है ओर मैन्युफ़ैक्चरिंग में 49% हिस्सा है। भविष्य में यह सोडीयम आइआन बैटरी भारत की अर्थव्यवस्था में एक बहुमूल्य हिस्सा बन जाएँगी।