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लियोनेल मेसी ने अपना और अर्जेंटीना के बरसों का सपना किया पूरा…

रविवार 18 दिसंबर की रात और कतर का लुसैल स्टेडियम। मेसी और सिर्फ मेसी…! इस एक खिलाड़ी ने भारत जैसे क्रिकेटप्रेमी देश पर भी फुटबॉल का जुनून सवार कर दिया। देर रात तक सड़कों पर घूमने वाले लोग शाम ढलते ही घरों की तरफ लौटने लगे। जिस तरह 10 नंबर जर्सी पहनने वाले सचिन तेंदुलकर को आखिरकार वर्ल्ड कप जीतना नसीब हुआ था, उसी तरह 10 नंबर की जर्सी पहनने वाले मेसी को हैप्पी एंडिंग मिलने की आस हर दिल में घर कर गई थी।

लियोनेल मेसी ने अपने दमदार करियर में सब हासिल कर लिया था, सिर्फ एक फुटबॉल वर्ल्ड कप रह गया था। 8 साल पहले 2014 में मेसी अपने सपने के बहुत करीब पहुंच गए थे। कुछ वैसे ही जैसे 2003 वर्ल्ड कप में सचिन तेंदुलकर के साथ हुआ था। एक कदम की दूरी थी लेकिन फाइनल में जर्मनी ने अर्जेंटीना को 1-0 से परास्त कर दिया था। उस पर दर्दनाक यह कि मेसी को पेनल्टी मिली थी लेकिन वह उसे गोल में तब्दील नहीं कर सके थे। तब दुनिया भर में मेसी के आलोचकों ने उनका खूब मजाक बनाया था। कहा गया था कि डिएगो माराडोना की तरह अर्जेंटीना को फुटबॉल का वर्ल्ड चैंपियन बनाना मेसी की किस्मत में नहीं है।

हद यह हो गई कि 2016 में एक और प्रसिद्ध फुटबॉल टूर्नामेंट कोपा अमेरिका कप में मेसी पेनल्टी शूटआउट पर गोल दागने से चूक गए और फिर एक दफा फाइनल में टीम को शिकस्त का सामना करना पड़ा। इधर अर्जेंटीना चिली से हारा और उधर 29 वर्षीय मेसी ने इंटरनेशनल फुटबॉल से रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया। उन्होंने ड्रेसिंग रूम में कहा कि अर्जेंटीना को किताब जिता पाना शायद मेरी किस्मत में सचमुच नहीं है। पर कहते हैं ना जख्म जितना गहरा होता है, उससे उबरकर आदमी उतना ही ज्यादा मजबूत बन जाता है।

आखिरकार कतर के लुसैल स्टेडियम में करिश्मा हो ही गया। मुकाबला शुरू हुआ और पहले ही मिनट से इस पर मेसी की छाप साफ नजर आने लगी। फाइनल मुकाबले के 21वें मिनट में अर्जेंटीनी खिलाड़ी एंजल डी मारिया फ्रांस के पेनल्टी बॉक्स की ओर बॉल लेकर दौड़े। पर फ्रांसीसी ओस्मान डेम्बेले ने फाउल कर दिया और बदले में मिल गई अर्जेंटीना को मुकाबले की पहली पेनल्टी। मुकाबले के 23वें मिनट में इस पेनल्टी पर गोलपोस्ट के निचले राइट कॉर्नर में लियोनेल मेसी ने गोल दाग दिया। समूचे स्टेडियम में ऐसी चीख, जिसकी गूंज सदियों तक रहेगी। 2014 वर्ल्ड कप फाइनल के 75वें मिनट में जर्मनी के पेनल्टी एरिया से गोल चूकने वाले मेसी ने 2022 वर्ल्ड कप फाइनल में बदला पूरा कर लिया।

दूसरे गोल में भी मेसी की भूमिका महत्वपूर्ण रही। मेसी को एक ऐसा खिलाड़ी माना जाता है, जो खुद गोल करने की बजाय साथी खिलाड़ियों के लिए मौके बनाने में ज्यादा यकीन रखता है। मेसी के आदर्श रहे डिएगो माराडोना भी कहते थे कि फुटबॉल में आपको एक दूसरे के लिए खेलना होता है। जब मेसी को यकीन हो जाता है कि किसी परिस्थिति में वह गोल करने के सबसे ज्यादा करीब हैं, तभी वह गोलपोस्ट पर शॉट दागते हैं। इसका नमूना कई मुकाबलों में देखने को मिला है और फाइनल में फिर एक बार नजर आया। मुकाबले के 35वें मिनट में मेसी करोड़ों उम्मीदें और बॉल साथ लेकर दौड़े। जगह मिलते ही उन्होंने साथी खिलाड़ी मैक एलिस्टर को फ्रांस के पेनल्टी बॉक्स में पास दे दिया।

एलिस्टर ने तुरंत ही एंजल डी मारिया को गेंद पास कर दी और गेंद सीधा गोलपोस्ट में। यह सब इतनी तेजी से हुआ कि फ्रांसीसी गोलकीपर ह्यूगो लॉरिस डी को कुछ भी सोचने-समझने का अवसर नहीं मिला। इसके बाद फ्रांस के स्टार कीलियन एमबाप्पे ने 80वें और 81वें मिनट में 2 गोल कर दिए। देखते-देखते मुकाबला 2-2 से बराबर हो गया। 97 सेकंड में पूरा पासा पलट गया। इसका परिणाम यह रहा कि निर्धारित 90 मिनट के बाद दोनों ही टीमें 2-2 के स्कोर के साथ बराबरी पर रहीं। मुकाबला एक्सट्रा टाइम में 15-15 मिनट के 2 हाफ की ओर बढ़ गया। यहां 108वें मिनट में मेसी तो 118वें मिनट में एमबाप्पे ने गोल दागकर दोनों ही टीमों को 3-3 की बराबरी पर ला खड़ा किया। इसका परिणाम यह रहा कि मुकाबले का निर्णय पेनल्टी शूटआउट से हुआ।

पेनल्टी शूटआउट में सबसे पहले एमबाप्पे ने लेफ्ट कॉर्नर में गोल दागकर फ्रांस को 1-0 की बढ़त दिला दी। बदले में मेसी ने भी गोलपोस्ट के लेफ्ट साइड में गोल दागकर स्कोर 1-1 कर दिया। अब फ्रांस के किंग्सले कॉमान पेनल्टी में गेंद को गोलपोस्ट में नहीं डाल सके, जबकि अर्जेंटीनी पाउलो डीबाला ने गोल दागकर अर्जेंटीना को पेनल्टी शूटआउट में 2-1 से आगे कर दिया। इसके बाद फ्रांस के औरिलियन चौमेनी भी पेनल्टी मिस कर गए, पर अर्जेंटीनी लीएंड्रो पेरेडस ने गोल दागकर अपनी टीम को 3-1 से आगे कर दिया। इसके बाद फ्रांस की ओर से रांडल कोलो ने गोल कर स्कोर 3-2 कर दिया। अंत में अर्जेंटीना के गोंजालो मोन्टीएल ने गोल दागकर टीम को 4-2 से जीत दिला दी। अर्जेंटीना के गोलकीपर मार्टीनेज को पेनल्टी शूटआउट का बीस्ट कहा जाता है। फाइनल में उन्होंने इसे सही साबित कर दिखाया।

एमबाप्पे ने वर्ल्ड कप फाइनल के इतिहास में दूसरी दफा हैट्रिक गोल दाग कर मेसी के सपने को चुनौती देने की भरपूर कोशिश की। पर मेसी की अर्जेंटीना ने पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से जीत हासिल कर ही ली। पेनल्टी शूटआउट में भी मेसी ने ही अपनी टीम का खाता खोला। 2014 वर्ल्ड कप फाइनल और 2016 कोपा अमेरिका फाइनल में अर्जेंटीना की हार का गम भुला दिया गया। इसके साथ ही मेसी ने अनाउंस कर दिया कि वह भी रिटायर नहीं हो रहे हैं। 2006 में 18 साल की उम्र में पहला फुटबॉल वर्ल्ड कप खेलने वाले मेसी वर्ल्ड चैंपियन फुटबॉलर के तौर पर कुछ और साल खेलना चाहते हैं। करोड़ों फैंस भी अपने सुपरस्टार को अभी मैदान पर और देखना चाहते हैं।🌻

About Prashant Meena

Prashant Meena is the Co-Founder and Chief Editor of Bharat Jaago.

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