भारतीय टीम ने जब टॉस जीतकर पर्थ की विकेट पर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया था तो लगा था कि टीम मुश्किल हालात में खिलाड़ियों का प्रदर्शन देखना चाहती है। स्विंग और बाउंस के बीच भारतीय बल्लेबाज लड़खड़ा गए। सूर्यकुमार यादव के ताबड़तोड़ 68 रनों को छोड़कर बाकी सब बल्लेबाज सस्ते में वापस आ गए।
केएल राहुल बतौर ओपनर लगातार तीसरी बार इस वर्ल्ड कप में फ्लॉप रहे और ऐसे में अब उनको लेकर विचार किया जाना चाहिए। ऋषभ पंत को टीम इंडिया में बतौर ओपनर मौका दिया जाना चाहिए। टीम हित में यह फैसला लिया जाना चाहिए।
फील्डिंग किसी भी मुकाबले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और विराट से कैच मिस होना तथा रोहित का रन आउट चूकना टीम को भारी पड़ा। यकीन है कि आने वाले मुकाबलों में भारत की फील्डिंग का स्टैंडर्ड और ऊपर उठेगा। कैच या रनआउट का कोई भी मौका भारतीय फील्डर नहीं चूकेगा।
वैसे 2011 वर्ल्ड कप में भी पहले आयरलैंड ने इंग्लैंड को हराया था और भारत साउथ अफ्रीका के हाथों शिकस्त खाया था। परिणाम यह रहा था कि वर्ल्ड कप 28 साल बाद हिंदुस्तान के हिस्से आया था। उम्मीद है कि पुराना इतिहास फिर से खुद को दोहराएगा। भारत फिर एक बार वर्ल्ड कप जीत पाएगा।
टीम इंडिया से अभी भी उम्मीद बदस्तूर कायम है
खिलाड़ियों में टी-20 वर्ल्ड कप जीतने का दम है