रावण या यूँ कहे लंकेश्वर- वैसे तो यह कहना गलत नहीं होगा कि रावण जैसा महाबली व ज्ञानी धरती पर आजतक जन्म ही नहीं लिया परंतु उसका एक ऐसा कर्म जो उसपे भारी पड़ गया वो था उसका घमंड व उसके बाद माता सीता हरन।
रावण लंका का राजा था और श्री राम भगवान के परम शत्रु थे रावण के दास रावण के 10 सिर थे जिसके कारण उन्हें दशानन, दश यानी 10 और आनन यानी कि मुख के नाम से जाना जाता था।
रावण अपने जमाने में एक वैज्ञानिक था जिसने उस समय में उड़ने वाला हेलीकॉप्टर बनाया था जो चांद की रोशनी से चलता था।
ऐसा कहा जाता है कि लंका में जो समुंद्र है उसके नीचे कहीं रावण की प्रयोगशाला थी रावण में बहुत दिमाग था लेकिन सीता जी के हरण के बाद उनकी इज्जत और आदर पानी में मिल गए।
वो कहते हैं ना आप चाहें कितने ही बलवान या बुद्धिमान हो लेकिन भगवान की किताब में सबके कर्मों के फल लिखे होते है, और कर्म के बारे में तो हम सब ने सुना है जो जैसा करता है वैसे ही भरता है।
सीता जी का हरण एक गलत काम था और उसके बदले में उन्हें राम भगवान से अपनी मृत्यु सैनी पड़ी एक युद्ध हुआ जिसमें रावण हार गया और बदले में रावण की मौत हो गई।
जैसे रावण की ही बात करते है-सोने की लंका का राजा, भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त, विभीषण, कुंभकर्ण जैसे वीर भाई लेकिन फिर भी अंत में उसको क्या मिला, भगवान राम द्वारा मृत्यु। उसके भाग में यही लिखा था।
हालांकि रावण के गुणों की गणना करने बैठे तो गिनती ही कम पड़ जाती है। वो वेदों, शास्त्रों, पुराण, विद्याएं, नीतियां, दर्शनशास्त्र आदि में परिपक्व था लेकिन उनकी माता राक्षस कुल की थी और इसी कारण उसमें भी राक्षसों के गुण थे और इसी कारण वो पूरे ब्रह्माण्ड में आतंक मचाता था।
ऐसा कहते है रावण को भगवान शिव से ऐसी तलवार प्राप्त थी जिसके रहते वो तीनों लोकों के देवी देवताओं द्वारा पराजित नहीं हो सकता था, और यह उसके अहंकार का मुख्य कारण बना।
परंतु उसके चरित्र में हम यह कह सकते है कि माँ सीता के हरन के बावजूद उसने अपना साया तक उन पर पड़ने नहीं दिया।
रावण इंद्रजाल व मायावी शक्तियों में भी निपुण था और इसी कारण से वह दशानन था। ऐसा कहते है कि उसकी इसी शक्ति की बदौलत जब भी राम उसका सर काटते तो उस जगह दूसरा सर आ जाता था।
हालांकि कुछ का यह भी कहना है कि रावण में दस आदमियों जितनी बुद्धि व बल था।
यह बात भी मानी जाती है कि रावण को अपने वध का ज्ञात था क्योंकि वह बहुत बुद्धिमान था लेकिन फिर भी धरती पर बुराई के अंत के लिए उसका मरना जरूरी था और उसने जो भी पाप किए वो भविष्य का पता होने के बावजूद किए।
दशहरा की मान्यता यह है कि जब भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण, हनुमान, वानर सेना और अन्य सेना के साथ जब माँ सीता को लाने के लिए निकले तो युद्ध के दसवें दिन राम ने रावण का वध किया था और उसी दिन से लोग इस बात की खुशी मनाने के लिए दशहरा मानते है।
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